लेखनी कहानी -05-Mar-2024
हमें जो न समझा उसे समझाने का दिल करता है
मुझे उसमें लिप्त होकर प्रज्वलित हो जाने का दिल करता है
बहुत जिए यह साधारण सी जिंदगी हे प्रिए श्री
अब तेरी झील सी आंखों में डुब कर भव से तर जाने का दिल करता है।।
इधर-उधर नहीं एक क्षण बिताने का दिल करता है
हंसी ठिठोली कर ना दिल बहलाने का जी करता है
क्या इजाजत देती हो मेरी जाने जाना
अब तेरी सांसों में लिप्त होकर खो जाने का दिल करता है।।
हो कबूल तो कह देना हमें आशियाना सजाने का दिल करता है
इस जमाने से दो दो हाथ कर तुम्हें पाने का दिल करता है
मैं छाती ठोक कर कहता हूं
जब से तुमसे मिला मेरी जां तेरी आंखें तब से ना और दूर जाने का दिल करता है।।
तुम ख्वाब हो तुम कसक हो तुम्हें पाने का दिल करता है
समा आशियाना सजाने का दिल करता है
तुम पहली मोहब्बत हो मेरी सुनते जा
तुझसे दिल लगाने का सजा जो है वह पाने का दिल करता है।।
व ख्वाबों कि रानी और नयन दीप्त बनाने का दिल करता है
गुलों का आसिया जगत में खिलाने का दिल करता है
ना रुलाओ इस कदर मेरे दिल को ओ दिले जा
अब दिल को दिल से मिलने का दिल करता है।।
संदीप कुमार अररिया बिहार
Gunjan Kamal
13-Mar-2024 10:29 PM
बहुत खूब
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Mohammed urooj khan
07-Mar-2024 02:54 PM
👌🏾👌🏾
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Babita patel
06-Mar-2024 03:30 PM
Awesome
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